गर्भवती पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए पति ने 1100 KM चलाई स्कूटी, पार की 4 राज्यों की सीमा
वीडियो डेस्क। कहते हैं परिस्थितियां चाहे जैसी हों, यदि व्यक्ति मन में ठान ले तो कोई भी मुश्किल उसका रास्ता नहीं रोक सकती जब तक कि वो अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच जाता. इसकी मिसाल पेश की है झारखंड के धनंजय मांझी ने. धनंजय ने अपनी पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए 1100 किलोमीटर तक स्कूटर चलाकर एक मिसाल कायम की है। धनंजय की पत्नी सोनी गर्भवती हैं और वह ग्वालियर आकर डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीईएलडीएड) के द्वितीय वर्ष की परीक्षा देना चाहती थीं। पति ने साढ़े 11 सौ किलोमीटर स्कूटी चलाकर उनकी इच्छा पूरी की। कोरोना के कारण परिवहन सुविधा बंद होने पर उसके लिए ग्वालियर पहुंचना मुश्किल था, लेकिन धनंजय ने स्कूटी से ही पत्नी को झारखंड के गोडा से मध्य प्रदेश के ग्वालियर तक का रास्ता तय कर डाला। ये दंपती अभी ग्वालियर में है। 11 सितंबर को परीक्षाएं संपन्न होने के बाद ये स्कूटी से ही झारखंड के लिए रवाना होंगे। धनंजय कैंटीन में खाना बनाने का काम करते थे, बीते तीन माह से बेरोजगार हैं। स्कूटी में पेट्रोल भरवाने के लिए धनंजय ने अपनी पत्नी के जेवर 10 हजार रुपये में गिरवी रखे दिए।
वीडियो डेस्क। कहते हैं परिस्थितियां चाहे जैसी हों, यदि व्यक्ति मन में ठान ले तो कोई भी मुश्किल उसका रास्ता नहीं रोक सकती जब तक कि वो अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच जाता. इसकी मिसाल पेश की है झारखंड के धनंजय मांझी ने. धनंजय ने अपनी पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए 1100 किलोमीटर तक स्कूटर चलाकर एक मिसाल कायम की है। धनंजय की पत्नी सोनी गर्भवती हैं और वह ग्वालियर आकर डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीईएलडीएड) के द्वितीय वर्ष की परीक्षा देना चाहती थीं। पति ने साढ़े 11 सौ किलोमीटर स्कूटी चलाकर उनकी इच्छा पूरी की। कोरोना के कारण परिवहन सुविधा बंद होने पर उसके लिए ग्वालियर पहुंचना मुश्किल था, लेकिन धनंजय ने स्कूटी से ही पत्नी को झारखंड के गोडा से मध्य प्रदेश के ग्वालियर तक का रास्ता तय कर डाला। ये दंपती अभी ग्वालियर में है। 11 सितंबर को परीक्षाएं संपन्न होने के बाद ये स्कूटी से ही झारखंड के लिए रवाना होंगे। धनंजय कैंटीन में खाना बनाने का काम करते थे, बीते तीन माह से बेरोजगार हैं। स्कूटी में पेट्रोल भरवाने के लिए धनंजय ने अपनी पत्नी के जेवर 10 हजार रुपये में गिरवी रखे दिए।