काली-घनी और सर्द रात...जब निर्भया की चीखें सुन रो पड़ा था पूरा देश

16 दिसंबर 2012, देश को झकझोर देने वाली एक ऐसी वीभत्स घटना जिसके इंसाफ के लिए पूरा देश एक हो गया। इंसाफ की ऐसी मांग उठी की सरकारें तक हिल गईं। पूरा देश सड़क पर था और एक 23 साल की युवती के लिए इंसाफ की मांग कर रहा था। और दुआ कर रहा था कि जिंदगी और मौत से जूझ रही युवती की सांसे कभी ना थमें। मौत से जद्दोजहज कर रही उस युवती को एक नया नाम दिया गया निर्भया। निर्भया जिसके साथ 6 लोगों ने दरिंदगी की सारी हदें पार करते हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। 

/ Updated: Jan 24 2020, 07:20 PM IST

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16 दिसंबर 2012, देश को झकझोर देने वाली एक ऐसी वीभत्स घटना जिसके इंसाफ के लिए पूरा देश एक हो गया। इंसाफ की ऐसी मांग उठी की सरकारें तक हिल गईं। पूरा देश सड़क पर था और एक 23 साल की युवती के लिए इंसाफ की मांग कर रहा था। और दुआ कर रहा था कि जिंदगी और मौत से जूझ रही युवती की सांसे कभी ना थमें। मौत से जद्दोजहज कर रही उस युवती को एक नया नाम दिया गया निर्भया। निर्भया जिसके साथ 6 लोगों ने दरिंदगी की सारी हदें पार करते हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया। उस दिन यानि कि 16 दिसंबर के दिन तकरीबन 8 बजकर 30 मिनट पर निर्भया अपने पुरुष दोस्त के साथ दिल्ली के मुनिरिका बस स्टैंड पर खड़ी थी। घर जाने की जल्दी थी..सर्दी के दिन थे, रात काली और घनी थी.... दोनों दोस्त एक सफेद कलर की बस में सवार होकर घर के लिए निकल गए। 23 साल की निर्भया पैरामैडिकल की पढ़ाई कर रही थी। सपने बड़े थे और पूरा करने की जिद उससे भी ज्यादा थी। घर पहुंचने की जल्दी में दोनों उस बस में बैठ गए लेकिन क्या पता था कि ये सफर जिंदगी को सबसे ज्यादा तकलीफ देने वाला सफर बन जाएगा। बस में सवार 6 लोगों ने महिला के दोस्त की पिटाई कर उसे बेहोश कर दिया। और महिला के साथ हैवानियत की हद पार कर दी। दुष्कर्मियों ने महिला के शरीर में लोहे की रॉड डाली, दरिंदगी ऐसी कि महिला छोटी आंत तक बाहर आ गई थी। हैवानों ने दोनों को बीच रास्ते में सड़क पर फेंक दिया। कई गाड़ियां उस रास्ते से गुजरी लेकिन किसी ने उनकी हेल्प नहीं की। एक बाइक सवार ने जब ये मंजर देखा तो उसने पुलिस को कॉल किया। पुलिस आई और महिला को सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया। निर्भया को वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन निर्भया की तबियत बिगड़ती जा रही थी। और देश में दोषियों के लिए मृत्युदंड की मांग उठ रही थी। जिंदगी और मौत से जूझ रही निर्भया को सिंगापुर ले जाया गया। जहां माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 17 दिसंबर से 29 दिसंबर तक निर्भया अस्पताल में थी, जिंदा थी, मां और पिता हर पल बेटी के साथ थे और पूरा देश निर्भया के साथ था...लेकिन निर्भया अपनी जिंदगी की जंग हार गई.....29 दिसंबर की रात करीब सवा दो बजे निर्भया ने दम तोड़ दिया। निर्भया चली गई लेकिन अपने पीछे छोड़ गई इंसाफ की मांग... जिसके के लिए निर्भया की मां ने एक लंबी लड़ाई लड़ी है।