तिरंगा यात्रा के साथ पहुंची शहीदों की देह, बेटों को तिरंगे में लिपटा देख बिलख पड़ा गांव... गूंजे शाहदत के नारे
26 जुलाई को शहीद हुए जवानों के शवों का परिवार 7 दिन से इंतजार कर रहा था। परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। गांव के लोगों का कहना है कि हमें गर्व है ऐसी शहादत पर जो देश ही नहीं विश्व की सेवा में शहीद हुए है।
वीडियो डेस्क। संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में अफ्रीका के कांगो में 26 जुलाई को प्रदर्शनकारियों के हमले में शहीद ही राजस्थान के दो जवानों के पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंची। तिरंगा यात्रा के साथ पहुंची पार्थिव देह तो पूरे गांव में शहीदों की शहादत के जयकारे गूंजने लगे। बाड़मेर निवासी हेड कॉन्स्टेबल सांवलाराम विश्नोई और सीकर के हेड कॉन्स्टेबल शिशुपाल सिंह अपनी आखिरी सांस तक लड़ते हुए शहीद हो गए। वे अंत तक लोगों की जान बचाते रहे। दोनों के गांवों के हजारों लोग शहीदों को अंतिम विदाई देने पहुंचे हैं। राष्ट्रीय सम्मान के साथ शहीदों का अंतिम संस्कार किया जाएगा। शिशुपाल के पिता को नहीं पता था कि बेटा शहीद हो गया। पार्थिव देह देखी तो बिलख बिलख कर रोने लगे। 26 जुलाई को शहीद हुए जवानों के शवों का परिवार 7 दिन से इंतजार कर रहा था। परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है। गांव के लोगों का कहना है कि हमें गर्व है ऐसी शहादत पर जो देश ही नहीं विश्व की सेवा में शहीद हुए है।