राजस्थान में ओलंपिक: आमने सामने होंगे नाना-नाती, दादा-पोता और देवरानी जेठानी...30 लाख खिलाड़ी हो रहे शामिल
जोधपुर में कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा होगी। यहां के पाल गांव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पशु मेला मैदान में जिले के प्रभारी मंत्री डॉ सुभाष गर्ग के साथ पहुंचे। ग्रामीण ओलंपिक में 6 तरीके के खेल होंगे। जिसके लिए अलग-अलग टीमें भी बनाई गई है।
खेल के क्षेत्र में राजस्थान एक नया इतिहास रचने जा रहा है। प्रदेश के 44 हजार से ज्यादा गांव में आज से ग्रामीण ओलंपिक की शुरुआत होने जा रही है। 4 दिन ग्राम पंचायत स्तर पर होने वाले इस आयोजन में पूरे प्रदेश से करीब 30 लाख से ज्यादा खिलाड़ी खेलों में शामिल होंगे। खास बात यह है कि इन खिलाड़ियों में 70 साल के बुजुर्ग से लेकर 10 साल के बच्चे भी शामिल हैं। ग्रामीण ओलंपिक में कई खिलाड़ी तो ऐसे हैं जो एक दूसरे के नाना - नाती, दादा- पोता, देवरानी जेठानी भी लगते हैं। 29 अगस्त से शुरू होने वाला यह टूर्नामेंट 5 अक्टूबर तक चलेगा जो खिलाड़ी विजेता रहेंगे उन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पुरस्कृत करेंगे । राजस्थान का यह टूर्नामेंट दुनिया में होने वाले किसी भी टूर्नामेंट से सबसे बड़ा है। क्योंकि टूर्नामेंट ग्रामीण क्षेत्रों में करवाया जा रहा है इसलिए इसका नाम राजीव गांधी ग्रामीण ओलंपिक दिया गया है। इस ओलंपिक का लोगो भी जारी किया गया है।
जोधपुर में कार्यक्रम की शुरुआत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा होगी। यहां के पाल गांव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पशु मेला मैदान में जिले के प्रभारी मंत्री डॉ सुभाष गर्ग के साथ पहुंचे। ग्रामीण ओलंपिक में 6 तरीके के खेल होंगे। जिसके लिए अलग-अलग टीमें भी बनाई गई है। पंचायत स्तर पर जीतने के बाद टीम ब्लॉक लेवल, डिस्ट्रिक्ट लेवल और फिर राज्य स्तर पर खेलेगी। सरकार भी विजेता टीमों को किट,मोमेंटो वितरित करेगी।
इस आयोजन के लिए करीब 40 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इन खेलों को कराने के पीछे सरकार के दो बड़े उद्देश्य हैं पहला उद्देश्य कि खेलों के माध्यम से सरकार लोगों को हेल्दी रहने की सीख देना चाहती है। दूसरा खेलों के माध्यम से उन छुपी हुई प्रतिभाओं का पता लग सकेगा जो अपने खेल में पूरी तरह से दक्ष है। लेकिन सवाल ये भी है कि सरकार भले ही ग्रामीणों ओलंपिक के लिए 40 करोड़ रुपए खर्च कर रही हो। लेकिन राजस्थान में खेल सुविधाओं का इतना अभाव है कि यहां के ज्यादातर जिलों में खेलों के लिए कोच ही नहीं है। पिछले कई सालों से यह समस्या बनी हुई है। लेकिन ग्रामीण ओलंपिक से किसे क्या मिलेगा ये भी देखना काफी मजेदार