सालभर से गंगा सफाई में जुटी प्लास्टिक फिशर कंपनी, नदियों से प्लास्टिक कचरे को एकत्र करने का कर रही काम
प्लास्टिक फिशर एक जर्मन आधारित कंपनी है, जो नदियों से प्लास्टिक कचरा एकत्र करती है। कंपनी मार्च 2021 से वाराणसी में काम कर रही है। कंपनी ने अस्सी से 38 टन प्लास्टिक एकत्र किया है। इस प्लास्टिक को इकट्ठा करने के बाद रिसाइकल प्लास्टिक को दोबारा इस्तेमाल में लाया जाता है।
वाराणसी: इसे जागरूकता की कमी कहें या प्रशासन की लापरवाही। शहर की प्रमुख नदियां अस्सी व वरुणा का पानी कई तरह के प्लास्टिक से प्रदूषित हो गया है। दोनों नदियां रोजाना 600 किलो प्लास्टिक उगल रही हैैं। प्लास्टिक में तब्दील होती नदी के पीछे सबसे बड़ी वजह प्लास्टिक से बने सामान और कचरे को नदी में फेंकना है। प्रयोग हो रहे प्लास्टिक की वजह से न केवल स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि नाले से नदी तक को बर्बाद कर दिया है। हालाकि कंपनी के इस उठाव के बारे में नगर निगम को जानकारी भी है, इसके बावजूद यहां निगम की गाडिय़ां व नदियों के आसपास रहने वाले लोग प्लास्टिक वेस्ट फेंकने से बाज नहीं आ रहे हैं।
अस्सी और वरुणा नदी शहर की ऐतिहासिक नदियां हैं। इसके बावजूद प्रशासनिक उदासीनता इन नदियों पर ऐसी रही कि अस्सी सीवेज नहर में बदल गई तो वरुणा पर करोड़ों खर्च के बावजूद उसका अस्तित्व धरातल की ओर है। वर्तमान में इन नदियों के किनारे नियमों को ताक पर रखकर हजारों घर बनाए जा चुके हैं और रोजाना इन घरों से नदियों में प्लास्टिक वेस्ट फेंका जा रहा है। रोजाना दोनों नदियों से अनुमानित 600 किलो के आसपास प्लास्टिक और अन्य कूड़ों का उठाव किया जा रहा है। प्लास्टिक फिशर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी ने पिछले एक साल से अस्सी और वरुणा नदी से कूड़ा निकालने का जिम्मा उठा रखा है।
प्लास्टिक फिशर एक जर्मन आधारित कंपनी है, जो नदियों से प्लास्टिक कचरा एकत्र करती है। कंपनी मार्च 2021 से वाराणसी में काम कर रही है। कंपनी ने अस्सी से 38 टन प्लास्टिक एकत्र किया है। इस प्लास्टिक को इक_ा करने के बाद रिसाइकल प्लास्टिक को दोबारा इस्तेमाल में लाया जाता है। जानकारी के मुताबिक अस्सी और वरुणा से प्लास्टिक निकालने के लिए वाराणसी में 13 लोगों की टीम लगी है। रोजाना सबसे ज्यादा प्लास्टिक अस्सी घाट से मिलता है। हर रोज अस्सी से 300 केजी प्लास्टिक एकत्र करते हैं तो वरुणा से भी काफी मात्रा में प्लास्टिक कलेक्ट की जाती है। प्लास्टिक को निकालने के लिए अस्सी में 4 प्रणालियों और वरुणा नदी में 3 प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया है। एक आंकड़े के मुताबिक प्रति माह नदी से लगभग 6 टन प्लास्टिक निकाला जा रहा है।