चंद मिनटों में बनाते हैं महापुरुषों की पेंटिंग, बाबा सत्यनारायण की अद्भुत कला देखकर हो जाएंगे दंग

राष्ट्रवादी गायक बाबा सत्यनारायण मौर्य अपने गीतों से समा बांध रहे। इसी के साथ वह मंच पर देश के महापुरुषों के चित्रों को भी बनाते रहे। उनकी इस अद्भुत कला को देखकर दर्शक बाग बाग हो गए। यह कार्यक्रम अमृत महोत्सव के समापन दिवस के रूप में मनाया जा रहा था।

/ Updated: Dec 23 2021, 02:14 PM IST

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लखीमपुर: अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) के तहत देर रात तक देशभक्ति (DeshBhakti) के कार्यक्रमों की धूम रही। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के इस कार्यक्रम में राष्ट्रवादी गायक बाबा सत्यनारायण मौर्य (Nationalist Singer Baba Satyanarayan Maurya) अपने गीतों से समा बांध रहे। इसी के साथ वह मंच पर देश के महापुरुषों के चित्रों को भी बनाते रहे। उनकी इस अद्भुत कला को देखकर दर्शक बाग बाग हो गए। यह कार्यक्रम अमृत महोत्सव के समापन दिवस के रूप में मनाया जा रहा था।

ये हुए सम्मानित
समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने 95 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. प्रह्लाद प्रसाद प्रजापति, 1999 के युद्ध में परम वीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के पिता गोपी चंद पांडेय, शहीद सुनील जंग की मां बीना, 1999 युद्ध में शहीद केवलानंद द्विवेदी की पत्नी कमला देवी, वीर चक्र व विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित ब्रिगेडियर नवीन सिंह, 1965 युद्ध के वार हीरो मेजर वीर चक्र से सम्मानित धीरेंद्र नाथ सिंह, 1971 युद्ध के वॉर हीरो वीर चक्र से अलंकृत कर्नल रघुनाथ प्रसाद द्विवेदी, 1999 युद्ध में वीर चक्र से सम्मानित कप्तान शत्रुघ्न सिंह, माउंट एवरेस्ट फतेह करने वाले शौर्य चक्र से सम्मानित कप्तान चंचल सिंह व वायुसेना मेडल से सम्मानित ग्रुप कैप्टन राजीव चौहान को सम्मानित किया।

अमृतकाल में श्रेष्ठ भारत का सपना करें साकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह भव्य आयोजन आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित हुआ है। आजादी केवल मांगने से नहीं मिली थी, इसके लिए लंबा संघर्ष हुआ था। इस संघर्ष को देश की वर्तमान व भावी पीढ़ियों को समझाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 वर्षों को अमृतकाल के रूप में मान्यता देकर देश के हर एक नागरिक से इसका महत्व समझने का आग्रह किया है। यह देश के महान सपूतों के संकल्प से जुड़ने का आग्रह है। देश के अंदर अलग-अलग समय आजादी का आंदोलन चलता रहा, लेकिन पहला स्वातंत्र्य 1857 में देखने को मिला। इसका केंद्र बिंदु उत्तर प्रदेश बना। मंगल पांडेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, अवंती बाई, ऊदादेवी, चौरीचौरा, काकोरी, धनसिंह कोतवाल का बलिदान सहित कई घटनाएं इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं। अमृतकाल हमारे लिए प्रेरणा है। स्वतंत्र भारत में देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले वीर शहीदों के त्याग, बलिदान व उनके विचारों को आत्मसात करने का संकल्प है। देश में महामारी के दौर से उबर कर देश के नागरिकों के साथ भारत मित्र देशों को भी वैक्सीन, पीपीई किट व सैनिटाइजर मुहैया करा रहा है। अमृतकाल सुरक्षित व श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार करने का माध्यम है। सीमाओं की रक्षा के साथ सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण व उन्हें आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की जनता को इसके साथ जुड़ना होगा।

स्टेडियम में लहराए 75 हजार राष्ट्रीय ध्वज
क्रीड़ा भारती के अध्यक्ष व विधानपरिषद सदस्य अवनीश सिंह ने बताया कि स्टेडियम में वंदे मातरम गायन के समय 75 हजार राष्ट्रीय ध्वज लहरा रहे थे। 75 स्कूल, 75 प्रोफेशनल कॉलेज व 75 डिग्री कॉलेज के विद्यार्थी इस आयोजन से जुड़े। इस दौरान 75 योग मुद्राओं समेत अन्य खेलों का भी प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में सेंट जोसेफ राजाजीपुरम के बच्चों ने राम स्तुति, सरस्वती शिशु मंदिर के बच्चों ने वंदे मातरम सहित अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किए।