Kashi Vishwanath Corridor के लिए अधिकारियों संग खुद भी जुटे रहे PM मोदी, VIDEO में देखें बनने की पूरी कहानी

साल 2014 में जब नरेन्द्र मोदी ने काशी से नामांकन भरा तो उन्होंने साफ कहा था कि काशी का धार्मिक राजधानी के रूप में विश्व मे नाम हो। उन्होंने वास्तुविदों से कहा कि ऐसा एक रास्ता बनाओ कि किसी भी तीर्थयात्री का मन प्रफुल्लित हो जाए। और आज वो रास्ता बाबा विश्वनाथ के चरणों में समर्पित कर किया जा रहा है।
 

/ Updated: Dec 13 2021, 02:40 PM IST

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वाराणसी: प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) काशी विश्वनाथ लोकार्पण (Kashi Vishwanath Corridor) के लिए काशी पहुंचे हैं। लेकिन इस लोकार्पण का दिन करीब लाने के लिए दिन रात काम में जुटे अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ पीएम मोदी भी जुटे रहे। साल 2014 में जब नरेन्द्र मोदी (PM narendra modi) ने काशी से नामांकन भरा तो उन्होंने साफ कहा था कि काशी (Kashi) का धार्मिक राजधानी के रूप में विश्व मे नाम हो। पीएम मोदी ने अपना ये वादा पूरा किया और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए काम शुरू करने को कहा। उन्होंने वास्तुविदों से कहा कि ऐसा एक रास्ता बनाओ कि किसी भी तीर्थयात्री का मन प्रफुल्लित हो जाए। और आज वो रास्ता बाबा विश्वनाथ के चरणों में समर्पित कर किया जा रहा है।

काशी की घनी आबादी के बीच जमीन अधिग्रहण एक बड़ी बाधा हो सकती थी। PM मोदी ने अधिकारियों से साफ कहा कि लचीला और धैर्यवान दृष्टिकोण अपनाएं और सभी शिकायतों का समाधान करें। सबके प्रयास के इस दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप परियोजना मुकदमेबाजी से मुक्त हो गई। लगभग 400 परिवारों के इस महादान से परियोजना के लिए भूमि उपलब्ध हुई।

साल 2017 की साइट की तस्वीरों और वर्तमान तस्वीरें, इस बात की गवाही दे रही हैं कि इस परियोजना को पूरा करने में कितनी चुनौतियों को पार किया गया है। इस दौरान PM मोदी ने डिजाइन और डिवेलपमेंट पर लगातार नजर जमाए रखी। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कोविड काल में भी परियोजना की प्रगति की निगरानी की। 

PM मोदी ने साफ निर्देश दिए थे कि नए निर्माण के साथ मौजूदा विरासत को भी संरक्षित किया जाए। कॉरिडोर के काम के दौरान बहुमंजिला इमारतों में समाहित हो चुके श्री गंगेश्वर महादेव मंदिर, मनोकामेश्वर महादेव मंदिर, जौविनायक मंदिर, श्री कुंभ महादेव मंदिर जैसे 40 से अधिक प्राचीन मंदिरों की खोज हुई। सांस्कृतिक संरक्षण के इसी प्रयास के तहत कनाडा से मां अन्नपूर्णा देवी की दुर्लभ मूर्ति वापस लाई गई और काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रतिस्थापित कराया गया।