वाराणसी के इस मदरसे में पढ़ाई जाती है संस्कृत, मुस्लिम एकता का दिया जाता है संदेश

वाराणसी के अर्दली बाजार इलाके में स्थित मदरसे में बच्चों को संस्कृत पढ़ाई जा रही है। यहां बच्चों को संस्कृत पढ़ाने के लिए बाहर से टीचर आते हैं। वहीं बच्चों में भी संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करने को लेकर उत्सुकता देखती है। 

/ Updated: Nov 02 2022, 04:27 PM IST
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अनुज तिवारी
आज हम आपको एक ऐसे मदरसे की तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जहां उर्दू के साथ साथ मुस्लिम बच्चों को संस्कृत भी पढ़ाई जाती है। अमूमन मदसरे का जिक्र आते ही हमारे मन मस्तिष्क में उर्दू भाषा को लेकर बातें आने लगती हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मदरसे की तस्वीर दिखाने जा रहे हैं, जहाँ शिक्षा धर्म और जाति से बड़ी है ये सीख दी जाती है। इस मदरसे में उर्दू जितनी शिद्दत से पढ़ाई जाती है, उतने ही शिद्दत से संस्कृत की भी शिक्षा दी जाती है। यहाँ मुस्लिम बच्चे उर्दू के साथ साथ संस्कृत की भी तालीम लेते हैं। 

बता दें कि वाराणसी के अर्दली बाजार  इलाके में  खानम जानम मदरसा मौजूद है, जहां पर उर्दू के साथ-साथ बच्चों को संस्कृत भी पढ़ाई कराई जाती है। संस्कृत पढ़ाने के लिए  बाहर से संस्कृत टीचर को भी बुलाया गया है, जो हर क्लास में बच्चों को संस्कृत की शिक्षा प्रदान करती है। बड़ी बात ये है कि मुस्लिम छात्रों में संस्कृत भाषा की किताब, श्लोक को पढ़ने और याद करने की खासा उत्सुकता भी दिखाई दे रही है। 

यह मदरसा शहर के अन्य मदरसों की अपेक्षा बिल्कुल अलग है। यहां पर बच्चों को हर तरीके का ज्ञान दिया जाता है। इसका ज्ञान में संस्कृत की शिक्षा भी मौजूद है। यहां पर बच्चों को  संस्कृत पढ़ाते हैं। संस्कृत में श्लोक पाठ अध्ययन कराया जाता है। मुस्लिम बच्चों को पढ़ाना थोड़ा सा मुश्किल जरूर होता है क्योंकि वह बचपन में उर्दू की तालीम लिए हुए हैं। लेकिन यदि उनके ईश्वर, उनकी तालीम से संस्कृत को जोड़ करके पढ़ाते हैं तो बच्चे बेहद जल्दी और आसानी से सीख जाते है। हैरान करने वाली बात यह है कि यहां शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चे भी संस्कृत को लेकर के खासा उत्साहित हैं,घर में जहां वो उर्दू की शिक्षा ग्रहण करते हैं तो वही स्कूल में संस्कृत के श्लोक और उनके अर्थ में भी उनकी उत्सुकता दिखाई देती है।  वह बकायदा श्लोक पढ़ करके उसको समझ भी रहे हैं।  संस्कृत भाषा  उन्हें खासा पसंद आ रही है और उन्हें पढ़ने में आनंद भी आ रहा है।