अवैध खनन का विरोध कर रहे संत विजय दास का हुआ निधन, माफियाओं के खिलाफ 550 दिन तक किया था प्रदर्शन
सरकारी उपेक्षा से परेशान होकर आखिरकार 20 जुलाई को भरतपुर जिले में विरोध प्रदर्शन के दौरान संत विजय दास ने आत्मदाह कर लिया। जिन्हें उपचार के लिए तत्काल जयपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन गंभीर हालत होने के कारण दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। जहां 22 जुलाई को इलाज के दौरान बाबा की मौत हो गई।
मथुरा: जिले के बरसाना में आज खनन का विरोध कर रहे संत विजय दास जी का माताजी गौशाला में अंतिम संस्कार हुआ। संत विजय दास खनन माफियाओं के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे।
आपको बता दें कि राजस्थान के भरतपुर जिले के आदी बद्रीनाथ धाम और कनकांचल पर्वत क्षेत्र में खनन का विरोध करने पर संतो ने 551वें दिनों तक धरना प्रदर्शन कर रहे थे। हरियाणा के रहने वाले संत विजय दास ब्रज क्षेत्र के पर्वतों को खनन माफियाओं से मुक्त कराने के लिए मुहिम छेड़ रखी थी। अधिकारी से लेकर सैकड़ों विधायक मंत्रियों तक करीब 300 से अधिक ज्ञापन अवैध खनन के खिलाफ दिए गए। लेकिन किसी के यहां सुनवाई नहीं हुई और पर्वतों पर खनन लगातार चलता रहा।
सरकारी उपेक्षा से परेशान होकर आखिरकार 20 जुलाई को भरतपुर जिले में विरोध प्रदर्शन के दौरान संत विजय दास ने आत्मदाह कर लिया। जिन्हें उपचार के लिए तत्काल जयपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन गंभीर हालत होने के कारण दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। जहां 22 जुलाई को इलाज के दौरान बाबा की मौत हो गई। अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ संत विजय दास ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। शनिवार को संत विजय दास का पार्थिक शरीर बरसाना के रमेश बाबा गौशाला लाया गया। जहां संतों ने नम आंखों से विजय दास का अंतिम संस्कार किया। बाबा विजय दास की चिता को मुखाग्नि उनके साथी दीन दयाल दास ने दी। अंतिम संस्कार के दौरान साधु संत स्थानीय लोगों की आंखें नम थी।