संगोष्ठी में वैज्ञानिकों ने प्रस्तुत किए शोध, जानिए अविमुक्तेश्वर से विश्वेश्वर और विश्वनाथ तक की पूरी यात्रा 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में वैज्ञानिकों ने शोध प्रस्तुत किए। इस दौरान अविमुक्तेश्वर से विश्वेश्वर और विश्वेश्वर से विश्वनाथ तक की यात्रा का शोध प्रस्तुत किया गया। 

/ Updated: Nov 06 2022, 01:39 PM IST

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें भारत के इतिहास को लेकर वैज्ञानिक शोध प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इस संगोष्ठी में सबसे ज्यादा लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला शोध अविमुक्तेश्वर से विश्वेश्वर और विश्वेश्वर से विश्वनाथ तक की यात्रा का शोध है। 

इस शोध को करने वाले अंकुश गुप्ता ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव जी 12 स्थानों पर ज्योतिर्लिंग के रूप में उपस्थित हैं। इनमें काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की महत्ता सर्वाधिक है। काशी नगरी के उत्तर की तरफ ओंकारखंड, दक्षिण में केदारखंड और बीच में विश्वेश्वर खंड है। प्रसिद्ध विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग इसी खंड में स्थित है। पुराणों में इस ज्योतिर्लिंग के संबंध में यह कथा दी गई है कि भगवान शंकर पार्वती जी से विवाह करके कैलाश पर्वत पर रह रहे थे, लेकिन वहां पिता के घर में ही विवाहित जीवन बिताना पार्वती जी को अच्छा न लगता था। एक दिन उन्होंने भगवान शिव से कहा कि आप मुझे अपने घर ले चलिए, यहां रहना मुझे अच्छा नहीं लगता। भगवान शिव ने उनकी यह बात स्वीकार कर ली। तब भगवान शिव माता पार्वती जी को साथ लेकर अपनी पवित्र नगरी काशी आ गए। यहां आकर वे विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।