स्वामी प्रसाद मौर्य ने छोड़ी पार्टी, करीबी बोला- साढ़े चार सालों तक नहीं उठाया पिछड़ों का मुद्दा
बुधवार को यूपी के कुशीनगर जिले के रहने वाले फूलबदन कुशवाहा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे पर कई सवाल खड़े किए हैं। आपको बता दें कि फूलबदन कुशवाहा पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेहद करीबी माने जाते हैं।
कुशीनगर: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha chunav 2022) से ठीक पहले यूपी सरकार (UP Government) के मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami prasad maurya) ने पार्टी को बड़ा झटका देते हुए बीजेपी से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद से लगातार बीजेपी के अलग अलग विधायकों का बीजेपी से इस्तीफा देने का दौर तेजी से शुरू हो गया। आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने बीजेपी सरकार पर दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों और छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया। इस बीच बुधवार को यूपी के कुशीनगर जिले के रहने वाले फूलबदन कुशवाहा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे पर कई सवाल खड़े किए हैं। आपको बता दें कि फूलबदन कुशवाहा पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के बेहद करीबी माने जाते हैं।
साढ़े 4 सालों तक नहीं उठाया पिछड़ों का मुद्दा- फूलबदन
फूलबदन कुशवाहा ने स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि मुझे स्वामी प्रसाद मौर्य बताएं कि जब वे मंत्री थे तब उन्होंने किस जाति के लोगों को आगे बढ़ाने का काम किया। उन्होंने कहा कि पटौरा विधानसभा के किस कुशवाहा समाज के बच्चे को मंत्री जी ने आगे बढ़ाने का काम किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आपने पिछड़ा और दलित के नाम पर जो सोशल मीडिया पर लिखा, क्या साढ़े 4 साल के भीतर इन मुद्दे को कभी सदन में उठाया।
विपरीत विचारधारा में किया काम: मौर्य
स्वामी प्रसाद मौर्य ने लेटर में इस्तीफे की वजह बताते हुए यह भी कहा कि वह विपरीत परिस्थिति और विचारधारा में काम कर रहे थे। उन्होंने लिखा, ''विपरीत परिस्थितितियों और विचारधारा में रहकर भी बहुत ही मनोयोग के साथ उत्तरदायित्व का निर्वहन किया। लेकिन दलितों, पिछड़ों, किसानों, बेरोजगार नौजवानों और छोटे-लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की घोर उपेक्षात्मक रवैये के कारण उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देता हूं।''
मायावती को भी चुनाव से ठीक पहले दिया था झटका
स्वामी प्रसाद मौर्य ने 2017 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मायावती को झटका देते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया था। अगस्त 2016 में बीजेपी की सदस्यता लेते हुए उन्होंने बसपा सुप्रीमो पर टिकट बेचने के आरोप लगाए थे।