कबाड़ बताकर सरकारी स्कूल का फर्नीचर बेच रहे थे प्रधानाध्यापक, ग्रामीणों ने जताया विरोध

सहारनपुर साढ़ौली कदीम विकास खंड साढ़ौली कदीम क्षेत्र के एक सरकारी विद्यालय में बिना विभागीय स्वीकृति लिए लाखों रुपये के फर्नीचर को कबाड़ बताते हुए बेचने का प्रयास कर रहे प्रधानाध्यापक को ग्रामीणों ने मौके पर पकड़ लिया।

/ Updated: Mar 27 2022, 12:13 PM IST

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सहारनपुर साढ़ौली कदीम विकास खंड साढ़ौली कदीम क्षेत्र के एक सरकारी विद्यालय में बिना विभागीय स्वीकृति लिए लाखों रुपये के फर्नीचर को कबाड़ बताते हुए बेचने का प्रयास कर रहे प्रधानाध्यापक को ग्रामीणों ने मौके पर पकड़ लिया।


उत्तर प्रदेश के जनपद सहारनपुर साढ़ौली कदीम क्षेत्र के गांव बहरामपुर में एक सरकारी विद्यालय में बिना विभागीय स्वीकृति लिए लाखों रुपए के फर्नीचर को कबाड़ बताते हुए बेचने का प्रयास कर रहे प्रधानाध्यापक को ग्रामीणों ने मौके पर पकड़ा। गांव के क्षेत्र वासियों का आरोप है कि प्रधानाध्यापक ने एक प्राइवेट स्कूल को 20 हजार में फर्नीचर बेचा था। क्षेत्र के गांव बहरामपुर में संचालित शहीद बिंदरपाल सिंह उच्च प्राथमिक विद्यालय में लाखों रुपये के फर्नीचर को विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने एक प्राइवेट विद्यालय को कौड़ियों के भाव में बेचते हुए ट्रैक्टर-ट्राली में भरवा दिया। फर्नीचर बेचने की सूचना मिलने पर क्षेत्रवासियों ने ट्रैक्टर ट्राली का घेराव कर जमकर किया हंगामा। ग्रामीणों ने मौके पर मौजूद प्रधानाध्यापक से फर्नीचर बेचने का स्वीकृति पत्र मांगा। तो इस पर प्रधानाध्यापक कोई पत्र नहीं दिखा पाये।  क्षेत्रवासियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्राइवेट विद्यालय के मौके पर मौजूद बच्चों व शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने उक्त फर्नीचर को प्रधानाध्यापक से 25 हजार रुपये में खरीदा था। 


वहीं इस पूरे मामले पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अम्बरीष कुमार का कहना है कि फर्नीचर जर्जर है। जिसे बिना मरम्मत प्रयोग में नहीं लाया जा सकता। प्रधानाध्यापक द्वारा फर्नीचर को मरम्मत के लिए भेजा जा रहा था। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि बिना विभागीय स्वीकृति के प्रधानाध्यापक को कुछ भी बेचने का अधिकार नहीं है उक्त मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जायेगी।