गोरखपुर में निकाय चुनाव से पहले वार्डों का नाम बदलने से गरमाई सियासत, जानिए क्या है हंगामे की असल वजह 

निकाय चुनाव से पहले गोरखपुर में 40 वार्डों का बदला बदलने को लेकर हंगामा शुरू हो गया है। वार्ड के लोगों के साथ समाजवादी पार्टी ने भी नाराजगी जताई है। हालांकि मेयर का कहना है कि वार्डों के नाम बदलने से लोगों में खुशी है। 

/ Updated: Sep 05 2022, 03:35 PM IST

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गोरखपुर में मुहल्लों और कालोनियों के नाम एक बार फिर से बदले जा रहे हैं और इस बार अधिकतर मुस्लिम इलाकों के नाम नगर निगम के द्वारा बदले जा रहे हैं। नगर निगम में 32 गांव के शामिल होने के बाद वार्डों की संख्या 70 से बढ़कर 80 हो गई है, नए दस वार्डों के साथ ही पुराने 40 वार्डों का नया नाम रखा गया है।  यानी नगर निगम में 80 में से 40 वार्ड नए नाम से पहचाने जाएंगे। घोषीपुर, रसूलपुर, अलीनगर, तुर्कमानपुर से लेकर मियां बाजार वार्ड का नाम बदल दिया गया है। 

नगर निगम में शामिल वार्डों के नाम बाबा राघव दास, बाबा गम्भीरनाथ नगर, रानीडीहा, मदन मोहन मालवीय, बड़गो, संझाई, डॉ.राजेन्द्र प्रसाद नगर, मत्स्येन्द्र नाथ, मोहनपुर आदि नाम से हो गया है। गोरखपुर में पुर्दिलपुर का नाम विजय चौक, मुफ्तीपुर वार्ड अब घंटाघर, घोषीपुरवा का नाम राम प्रसाद बिस्मिल और बिछिया जंगल तुलसी राम पूर्वी का नाम शहीद शिव सिंह क्षेत्री का नाम से हो गया है। इसी तरह शेखपुर वार्ड गीता प्रेस के नाम से जाना जाएगा। नौसढ़ इलाके के मोहल्लों को शामिल कर मत्स्येन्द्र नगर कर दिया गया है। मोहद्दीपुर में सिख समुदाय की अधिक आबादी को देखते हुए इसका नाम भगत सिंह वार्ड कर दिया गया है। वहीं तुर्कमानपुर का नाम अब शहीद अशफाक उल्लाह नगर तो रसूलपुर वार्ड को अब महाराणा प्रताप वार्ड के नाम से जाना जाएगा। दिलेजाकपुर इलाके को अब महात्मा ज्योतिबा फुले नगर, इलाहीबाग का नाम अब बंधू सिंह नगर रखा गया है। दाउदपुर और बिलंदपुर इलाके के मोहल्लों को मिलाकर रघुपति सहाय फिराक नगर वार्ड का गठन किया गया है। इसी तरह जाफरा बाजार वार्ड का नाम अब आत्माराम नगर कर दिया गया है। मियां बाजार वार्ड को अब माया बाजार नाम से जाना जाएगा। हांसपुर का नाम बदल कर श्रीराम चौक और मुस्लिम बहुल तिवारीपुर का नाम बदल की महर्षि दधीचि नगर वार्ड कर दिया गया है। इसी तरह मिर्जापुर वार्ड को शिवनगर तो चक्सा हुसैन वार्ड का नाम संत झूलेलाल नगर कर दिया गया है। मुहल्लों के नाम मे इस बदलाव को लेकर मुस्लिम इलाकों के अधिकतर लोग सहमत नहीं है। इनका कहना है कि उनकी पहचान उनके इलाके के नाम से है और मुस्लिमों में भी तमाम ऐसे शहीद और महापुरुष हुए हैं जिनके नाम पर वार्डों का नाम रखा जाना चाहिए था लेकिन सरकार सिर्फ जातिगत सियासत कर रही है और ऐसे ऐसे लोगों के नाम पर शहर के वार्डो का नाम रखा गया है जिनके बारे में लोगों को पता ही नहीं है।