यूपी के बरेलवी मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने सपा के दिग्गज नेता आजम खां को सियासत छोड़ देने की सलाह दी है। मौलाना शहाबुद्दीन ने रामपुर विधानसभा उपचुनाव में वोट के लिए आजम खां की भावुक अपील पर सख्त ऐतराज भी जताया है।
बरेली: उत्तर प्रदेश के जिले बरेली के मौलाना और आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने रामपुर में विधानसभा उपचुनाव में सपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खां के तौर-तरीकों पर सख्त एतराज जताया है और उन्हें राजनीति छोड़ देने की सलाह दी है। मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी का कहना है कि समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खां को वह करीब 30 साल से जानते हैं। रामपुर के लगभग हर चुनाव में वोटिंग से चंद दिनों पहले वह गली-गली और गांव-गांव जाकर आंसू बहाने लगते हैं और रो-रो कर व दुहाई देकर जनता से वोट मांगते हैं। ऐसा ही वह उपचुनाव में भी कर रहे हैं। उनको भाषण के दौरान भावुक होता देख लोग ताज्जुब और अचंभे में है। वो रोते हुए जेब से रूमाल निकालते हैं चश्मा उतार कर रुमाल से दोनों आंखें पोछते हैं, तो लोगों को यह देखकर हैरत होती है। पुराने लोग उनकी इन हरकतों से बखूबी वाकिफ हैं।
आजम खान को मौलाना ने दी ऐसी नसीहत
मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि आज़म खां को अब ये तमाम बातें शोभा नहीं देतीं, वो उत्तर प्रदेश में सपा के कद्दावर लीडर हैं। अब जनता की सोच और फिक्र में काफी बदलाव आ गया है, इसलिए अब आज़म खां की बातों का और उनके रोने-गाने का जनता पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा है कि आजम खां को मेरी सलाह है कि अब वह राजनीति छोड़ दें और खुदा को याद करने में लग जाएं। मौलाना ने कहा कि उनको चाहिए कि अपने घर के करीब मस्जिद में पांचों वक्त की नमाज़ पढ़ने के लिए जाएं और खुदा की वारगाह में तौबा करें। जिन-जिन लोगों को सताया या परेशान किया है उन लोगों के घरों पर जाकर उनसे माफी मांगे, खुदा उनको माफ़ कर देगा।
मदरसे की लाइब्रेरी भी थी बहुत शानदार- मौलाना
मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने कहा कि मुस्लिम शासन के आखिरी दौर से लेकर ब्रिटिश पीरियड और सन 2000 तक मदरसा आलिया रामपुर की इल्मी शान व शौकत पूरी दुनिया में इस तरह थी, जिस तरह आज के दौर में जामिया अज़हर मिस्र की है। मदरसा आलिया में पढ़ने के लिए रूस के शहर समरकंद व बूखारा के अलावा अफगानिस्तान, अरब और यूरोप व अफ्रीका के देशों से छात्र पढ़ने के लिए आया करते थे। मदरसे की लाइब्रेरी भी बहुत शानदार थी, जिसमें नादिर व नायाब किताबें पढ़ने वालों के लिए कशीश का दर्जा रखतीं थीं, मगर अफसोस के साथ यह कहना पड़ रहा है कि आज़म खां के संरक्षक में मदरसा आलिया और उसका कुतूबखाना बर्बाद हो गया और हम इसकी बर्बादी को अपनी आंखों से देखते रहे।
अखिलेश के रामपुर पहुंचने पर भी जताया ऐतराज
मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को अब रामपुर आने की क्या जरूरत थी। 27 महीने तक जेल में बंद रहने वाले आजम खां को वह देखने के लिए भी न रामपुर आए और न ही सीतापुर जेल पहुंचे, जबकि उस वक्त आजम खां को अखिलेश यादव के साथ की सख्त जरूरत थी। अब अखिलेश यादव को अपने नजरिए पर मंथन करना चाहिए, जब वो मुस्लिम लीडरान के साथ हमदर्दी के लिए नहीं खड़े हो सकते हैं तो उनको मुसलमानों से ओट मंगाने का भी हक हासिल नहीं है। मौलाना ने रामपुर की जनता से अपील करते हुए कहा कि अपने मत आधिकारों का इस्तेमाल अपने जमीर की आवाज पर करें, किसी से डरने और खौफ़जदा होने की जरूरत नहीं है।
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