वर्ल्ड टॉयलेट डे यानी विश्व शौचालय दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है। यह दुनिया भर में स्वच्छता के लिए लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। पूरी दुनिया में ज्यादातर आबादी स्वच्छता के संकट की समस्या से जूझ रही है।
नई दिल्ली. वर्ल्ड टॉयलेट डे यानी विश्व शौचालय दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है। यह दुनिया भर में स्वच्छता के लिए लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। पूरी दुनिया में ज्यादातर आबादी स्वच्छता के संकट की समस्या से जूझ रही है। वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाने का एक उद्देश्य सतत विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट) के लक्ष्य को हासिल करना है। इसके तहत साल 2030 तक सबके लिए स्वच्छता का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
2001 में विश्व शौचालय संगठन की स्थापना हुई थी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने साल 2013 से विश्व शौचालय दिवस को मनाना शुरू किया। संयुक्त राष्ट्र जल की पर्याप्त उपलब्धता के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के एक कार्यबल का भी नेतृत्व करता है, जो इसके लिए कई तरह के अभियान चलाते हैं। 2019 की थीम है 'कोई भी पीछे नहीं रहे'। यह सतत विकास के लक्ष्य से जुड़ा मख्य विषय है। पिछले वर्षों में इसकी थीम में प्रकृति आधारित समाधान, अपशिष्ट जल, शौचालय और रोजगार, शौचालय और पोषण जैसे मुद्दे शामिल रहे हैं। विश्व शौचालय दिवस पर कई माध्यमों से जागरूकता के प्रसार के लिए अभियान चलाए जाते हैं और दूसरी गतिविधियां की जाती हैं। इस मौके पर संयुक्त राष्ट्र की संस्थाओं, अंतरराष्ट्रीय संगठनों, स्थानीय नागरिक संगठनों और स्वयंसेवकों द्वारा जागरूकता बढ़ाने और गतिविधियां संचालित करने की प्रेरणा देने के लिए कई कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाई जाती है। एक शौचालय सिर्फ शौचालय ही नहीं होता। इससे स्वास्थ्य की सुरक्षा होती है और व्यक्ति की गरिमा भी बनी रहती है।
आज 4.2 बिलियन लोग अस्वच्छ और असुरक्षित माहौल में रहते हैं, जो दुनिया की आधी से अधिक आबादी है। दुनिया भर में करीब 673 मिलियन लोग अभी भी खुले में शौच जाते हैं। दुनिया भर में कम से कम 2 बिलियन लोग मानव मल से दूषित पेयजल का उपयोग करते हैं। अस्वच्छता के कारण एक अनुमान के अनुसार, हर साल पूरी दुनिया में 432,000 लोगों की डायरिया से मौत हो जाती है। यह आंतों के कीड़े और ट्रेकोमा जैसी बीमारियों का भी एक प्रमुख कारण है। यूनिसेफ द्वारा 2019 में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, लंबे समय से गृहयुद्ध की समस्या झेल रहे देशों में हिंसा का शिकार होने से पांच साल तक की उम्र के जितने बच्चों की मौत हुई है, उससे 20 गुणा ज्यादा बच्चों की मौत डायरिया और अस्वच्छ पानी से होने वाली बीमारियों से हो चुकी है।
शौचालय सिर्फ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं हैं, क्योंकि इससे लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है, बल्कि यह खास तौर पर स्त्रियों की गरिमा और उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। इससे स्वच्छता बनी रहती है और रोगों का प्रसार नहीं होता है।
Mar 14 2024, 02:12 PM IST
Mar 10 2024, 09:10 PM IST
Mar 10 2024, 07:48 PM IST
Mar 04 2024, 12:24 PM IST
Feb 21 2024, 11:02 AM IST
Nov 21 2023, 10:46 AM IST
Nov 20 2023, 04:39 PM IST
Nov 20 2023, 10:27 AM IST
Aug 01 2023, 06:35 PM IST
May 23 2023, 02:05 PM IST
Mar 08 2022, 04:10 PM IST
Mar 07 2022, 07:04 PM IST
Sep 25 2023, 11:19 AM IST
Jul 09 2023, 10:46 AM IST
Jun 19 2023, 10:59 AM IST
Jun 07 2023, 11:48 AM IST
Jun 08 2022, 02:17 PM IST
Sep 06 2024, 12:15 PM IST
May 09 2024, 01:24 PM IST
Oct 11 2024, 11:46 AM IST
Oct 10 2024, 09:29 AM IST
Jan 19 2023, 06:47 PM IST
Jan 19 2023, 05:43 PM IST