लखनऊ के नाम को बदलने की चर्चा एक बाऱ फिर तेज़ हो गई है। उसका कारण है कि पीएम मोदी बुद्ध पुर्णिमा को जब नवाबों के शहर लखनऊ आये और सीएम योगी के ट्वीट ने माहौल को हवा दे दी थी।
"वह आबो हवा वो सुकून कहीं और नहीं मिलता,
मिलते हैं बहुत शहर मगर लखनऊ सा नहीं मिलता "
लखनऊ के नाम को बदलने की चर्चा एक बाऱ फिर तेज़ हो गई है। उसका कारण है कि पीएम मोदी बुद्ध पुर्णिमा को जब नवाबों के शहर लखनऊ आये और सीएम योगी के ट्वीट ने माहौल को हवा दे दी थी। इससे पहले लखनऊ से सांसद और देश के रक्षा मंत्री के सामने भी लखनऊ के नाम बदलने को लेकर मांग उठी थी। अब इसको लेकर ये कहा जाता है कि लखनऊ का पहले का नाम ‘लक्ष्मणपुर’ या ‘लक्ष्मणवती’ था और इसकी स्थापना श्री रामचंद्र जी के अनुज लक्ष्मण ने की थी। जो बदलकर कालांतर में लखनऊ के नाम से जाना जाने लगा। श्री राम की राजधानी अयोध्या भी यहां से मात्र 80 मील दूरी पर स्थित है। नगर के पुराने भाग में एक ऊंचा ढूह है, जिसे आज भी ‘लक्ष्मण टीला’ कहा जाता है। यह प्राचीन कोसल राज्य का हिस्सा था। यह भगवान राम की विरासत थी, जिसे उन्होंने अपने भाई लक्ष्मण को समर्पित कर दिया था।
एक अन्य कथा के अनुसार इस शहर का नाम ‘लखन अहीर’ जोकि ‘लखन किले’ के मुख्य कलाकार थे, के नाम पर रखा गया था। शहर से 10 किलोमीटर की दूरी पर ही नैमिषारण्य तीर्थ है। इसका पुराणों में बहुत ऊंचा स्थान बताया गया है। यहीं पर ऋषि सूतजी ने शौनकादि ऋषियों को पुराणों का आख्यान दिया था।
वर्तमान का लखनऊ : लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की स्थापना नवाब आसफउद्दौला ने 1775 ई. में की थी। विशाल गंगा के मैदान के हृदय क्षेत्र में स्थित लखनऊ शहर बहुत से ग्रामीण कस्बों एवं गांवों से घिरा हुआ है, जैसे अमराइयों का शहर मलिहाबाद, ऐतिहासिक काकोरी, मोहन लाल गंज, गोसाईंगंज, चिन्हट और इटौजा। इस शहर के पूर्व की ओर बाराबंकी जिला है तो पश्चिम में उन्नाव जिला एवं दक्षिण में रायबरेली जिला है। इसके उत्तरी ओर सीतापुर एवं हरदोई जिले हैं। गोमती नदी शहर के बीचोंबीच से निकलती है और लखनऊ को ट्रास गोमती एवं सिस गोमती क्षेत्रों में विभाजित करती है।
सन् 1902 में नार्थ वैस्ट प्रोविन्स का नाम बदल कर यूनाइटिड प्रोविन्स आफ आगरा एंड अवध कर दिया गया। साधारण बोलचाल की भाषा में इसे यूनाइटिड प्रोविन्स या यू.पी. कहा गया। स्वतंत्रता के बाद 12 जनवरी सन 1950 को इस क्षेत्र का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश रख दिया गया और लखनऊ इसकी राजधानी बना। इस तरह यह अपने पूर्व लघु नाम यू.पी. से जुड़ा रहा।
आसफउद्दौला का योगदान : शहर और आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं। इनमें ऐतिहासिक स्थल, उद्यान, मनोरंजन स्थल एवं शापिंग माल आदि हैं। यहां कई इमाम बाड़े हैं। इनमें बड़ा एवं छोटा प्रमुख है। प्रसिद्ध बड़े इमामबाड़े का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है, यह विशाल गुंबदनुमा हाल 50 मीटर लम्बा और 15 मीटर ऊंचा है। यहां एक अनोखी भूल-भुलैयां है। इनमें से अधिकांश इमारतें अकाल पीड़ितों को मजदूरी देने के लिए बनवाई गई थीं। आसफ उद्दौला को लखनऊ निवासी ‘जिसे न दे मौला, उसे दे आसफउद्दौला’ कह कर याद करते हैं।
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