बृज में चलने वाले 40 दिवसीय होली महोत्सव का आज दाऊ दादा की नगरी से समापन हो गया। मंदिर में चले हुरेंगे उत्सव में देवर पर भाभियों ने अपना प्यार जताते हुए पहले उनके कपड़े फाड़े और फिर साढे हुए कपड़ों से कूड़ा बनाकर हुरेंगे का आनंद उठाया। पीठों पर कोड़े खाते हुए दाऊ जी महाराज के जयकारों से पूरा वातावरण भक्ति में सराबोर और रंगमय नजर आया।
मथुरा: बृज में चलने वाले 40 दिवसीय होली महोत्सव का आज दाऊ दादा की नगरी से समापन हो गया। मंदिर में चले हुरेंगे उत्सव में देवर पर भाभियों ने अपना प्यार जताते हुए पहले उनके कपड़े फाड़े और फिर साढे हुए कपड़ों से कूड़ा बनाकर हुरेंगे का आनंद उठाया। पीठों पर कोड़े खाते हुए दाऊ जी महाराज के जयकारों से पूरा वातावरण भक्ति में सराबोर और रंगमय नजर आया।
ब्रज में होली की धूम धुल होली के बाद भी गूँज रही है। भले ही राधा-कृष्ण होली का समापन धूल होली के साथ हो गया हो, लेकिन श्री कृष्ण के बड़े भाई और ब्रज के राजा बलराम जी की नगरी में आज भी होली खेली गई। अनोखे तरीके से खेली गई इस होली में ग्वालों के कपडे फाड़ कर कोड़ा बनाकर हुरियारिनों ने उन्हीं पर बरसाए। हुरंगे की अलौकिक छटा देखते ही बन रही थी। भगवान कृष्ण के बड़े भाई और ब्रज के राजा बलदाऊ जी के यहाँ बलदेव में आज अलग तरह की होली खेली गई। अबीर गुलाल के बीच यहाँ इन्द्रधनुषी हुरंगा हो रहा है। सभी जगह होली खेली गई लेकिन यहाँ पर खेला गया हुरंगा। हुरंगा यानि की होली का बड़ा रूप। हर जगह होली का समापन हो गया हो, लेकिन ब्रज में चालीस दिन तक चलने वाली होली की गूँज अब भी यहाँ बनी हुई है। हाथों में बाल्टी लेकर मंदिर परिसर में नाचते ये हुरियारे दोपहर बारह बजे बाद से यहाँ एकत्रित होना शुरू हो जाते हैं।इसके बाद जैसे ही मंदिर के अन्दर से बलराम जी की छड़ी रुपी झंडा आता है तो यहाँ मौजूद हुरियारिनें इनके कपडे फाड़ना शुरू कर देती हैं और फिर उनको रंग में भिगोकर कोड़ा बनती हैं। हुरियारिनें कोड़े को हुरियारों पर ही बरसाना शुरू कर देती हैं। हुरियारे दाउजी महाराज के जयकारे लगते हुए मंदिर की परिक्रमा करते हैं।
दाऊजी मंदिर के रिसीवर ने हुरंगे की जानकारी देते हुए बताया कि हुरंगे के दौरान हुरियारे इतने उत्साहित हो जाते हैं कि वह कभी अपने साथियों को कंधे पर बिठा लेते हैं और कभी उने गिरा देते हैं। इस दौरान लगातार कपडे के बनाये हुए कोड़े से हुरियारिन इन ग्वालों पर वार करती रहती हैं। इस सबको देखकर यहाँ आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक भाव विभोर हुए बिना नहीं रह पाते। बरसाना और नन्द गांव की ही तरह यहाँ के हुरंगे में भी हुरियारिन हुरियारों पर हावी रहती है, लेकिन यहाँ लाठियों से नहीं बल्कि हुरियारों के कपडे फाड़ कर बनाये गए कोड़े से उन्हीं की पिटाई लगा कर होली के पर्व का समापन करती हैं। भले ही इस समय देश और प्रदेश कोरोना के हालात बिगड़ते जा रहे हो, लेकिन ब्रज में होली की खुमारी इस कदर है कि किसी को कोरोना का ख़ौफ़ नहीं है।
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